धर्म संवाद/ डेस्क : हिन्दू धर्म में नवरात्री एक बहुत प्रमुख त्यौहार है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में शक्ति की साधना की जाती है। नवरात्री साल में 4 बार आती है। साल में चारों नवरात्रि ऋतु परिवर्तन के समय यानि चैत्र, माघ, आषाढ़, आश्विन माह में मनाई जाती हैं। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंतनवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
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गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। इसमें तंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। इसमें अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने लिए विशेष पूजा करते है साथ ही यह मोक्ष की कामना के लिए भी यह महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मान्यता के अनुसार, चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ शक्तियों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दस देवियों का पूजा की जाती है- माता कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माता बगलामुखी, माता मातंगी, माता कमला देवी हैं।
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गुप्त नवरात्रि गृहस्थ लोग नहीं मनाते हैं यह सिर्फ उन लोगों के लिए होती है जो तंत्र साधना और वशीकरण में विश्वास रखते है। यह भी कहा जाता है कि प्रत्यक्ष नवरात्रि वैष्णवों की है और गुप्त नवरात्रि शैव और शाक्तों की है।
पंचाग के अनुसार इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत शनिवार 10 फरवरी 2024 से हो रही है। वहीं इसका समापन रविवार 18 फरवरी 2024 को होगा।