सनातन धर्म में पौष के महीने को ‘धर्म का महीना’ कहा जाता है क्योंकि इस माह में देवताओं के निमित कार्य और पूजा पाठ इत्यादि अधिक होता है.
मान्यता है कि पौष के महीने में भगवान सूर्य की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा होती है.
ब्रह्म पुराण के अनुसार खरमास में मौत होने पर व्यक्ति नर्क का भागी होता है. इस बात की पुष्टि महाभारत में भी होती है.
खरमास के दौरान भीष्म पितामह का पूरा शरीर बाणों से छलनी था, इसके बावजूद भी उन्होंने प्राण नहीं त्यागे, क्योंकि उस वक्त सूर्य दक्षिणायन में चल रहे थे.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस व्यक्ति की मृत्यु दक्षिणायन में होती है उसे मरने के बाद नर्क की प्राप्ति होती है.